Friday, August 19, 2011

तनहा रात में

इस तनहा रात में, एक तेरी याद में,
मैं यूँ ही मायूस जागता हूँ
कैसे समझाउं उन्हें के तेरा हर दर्द मेरा है
कैसे बतलाऊं उन्हें के तेरा साथ मेरा सवेरा है
कैसे कह दूं के तेरी हसी में मेरी ख़ुशी है
के बस तेरी निगाह में मेरी जन्नत बसी है

इस तनहा रात में, एक तेरी याद में,
मैं ना जाने क्यूँ सिसकता हूँ,
तुझे खो ना दूं कहीं मैं,
डरता हूँ बिलकता हूँ,

कैसे समझाउं उन्हें के तू ही मेरा घर मेरी मंज़िल है
कैसे बतलाऊं उन्हें के तेरा साया मेरा समंदर मेरा साहिल है
कैसे कह दूं के तेरी हर ख्वाहिश मेरा जुनूं है
के बस तेरे सहारे मुझे मिलता सुकूं है

इस तनहा रात में, एक तेरी याद में,
मैं ना जाने क्यूँ कुछ खो सा जाता हूँ,
किस्से करूँ अपना दर्द ये बयाँ,
जो कर सके यकीं हो ना शक़ दरमियाँ,
कैसे समझाउं उन्हें...

मैं... बस यूँ ही मायूस जागता हूँ,
इस तनहा रात में, एक तेरी याद में...

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